निसरपुर,(शिवकुमार उपवाल) । चैत्र नवरात्रि गणगौर उत्सव समूचे निमाड़-मालवा अंचल में प्रसिद्ध हैं। जो की गणगौर पर्व क्षेत्र में बड़े हर्ष उल्लास के साथ श्रद्धालुओं द्वारा मनाया जाता है। मंगलवार को
गणगौर पर्व के चलते ज्वारा रूपी माता की बाड़ी का पूजन करने अल सुबह से श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा ।
गणगौर माता की जय घोष के साथ माता के ज्वारे रूपी वाड़ी पूजन के साथ ही मनोकामनाओ के आस्था के अनुरूप विशेष आकर्षण श्रंगारीत रथों को लेकर ज्वारे रूपी माता को घर ले जाने भक्त पहुंचे ।
निमाड़ के लोक संस्कृति के महापर्व गणगौर की शुरुआत एकादशी से हुई थी माता की बाड़ी में मुठ स्थापना के साथ महिलाओं ने गणगौर माता के झालरिया गीत रोज रात में गाकर और माता की बाड़ी में बड़ी संख्या में एकत्रित होकर हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा हैं। मंगलवार को माता के ज्वारे के दर्शन के लिए वाड़ी के पठ सुबह 5 बजे से खोले गए जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर पूजा अर्चना की। पंडित शतानंद त्रिवेदी,नटवरलाल जोशी, द्वारा पूजा करवाई गई।
सर्व समाजजनों द्वारा इस पर्व को विशेष उल्लास के साथ में मनाया जाता हैं
यहां के गणगौर नृत्य को निमाड़ और मालवा अंचल के साथ प्रदेशभर में सराहा जाता है। यह पर्व राजा धनियार व रणुबाई (रथ) के गृहस्थ प्रेम और भगवान शिव-माता पार्वती के पूजन से जुड़ा है।
दोपहर 12 बजे श्रद्धालु अपने रथों को मनमोहक श्रंगार कर बाड़ी पहुंचे ।सामूहिक रूप से ज्वारों का पूजन कर माता के रथों में ज्वारे रखकर गणगोर माता को श्रद्धालु घर लेकर आएं ।
दर्शन के लिए माता की बाड़ी पहुंचे श्रद्धालु : गणगौर पर्व पर निसरपुर नगर में पाटीदार धर्मशाला, गणपति पाठक व खाटू श्याम स्थित माता की वाड़ी पूजन के लिए नगर के श्रद्धालुओं सहित आसपास के ग्रामीण जन पूजा अर्चन के लिए पहुंचे। इस दौरान झाड़ खेलने वाले व्यक्ति जिसमें महिला और पुरुष को माता की सवारी आती है उन्होंने नगर में अलग अलग स्थित माता की बाड़ी के दर्शन कर गले लगा कर नगर में सर पर कलश उस पर नारियल लेकर निकलते हैं। इस दौरान झाड़ खेलने वाले व्यक्ति जिसमें महिलाओं और पुरुषों को माता की सवारी आती है उनके साथ ढोल नगाड़ों के साथ ज्वारा रूपी माता को रथ में रखकर घर लाया जाता है।
गणगौर माता की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की:नगर में गणगौर पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है महिलाओं ने गणगौर माता की बाड़ी में माता जी की प्रतीक ज्वारे की विधिवत पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की गणगौर माता की वाड़ी के पट खुलने के बाद पूजा अर्चना का क्रम सुबह से ही प्रारंभ हो गया था जो दोपहर तक चलता रहा। इस दिन महिलाओं ने व्रत भी रखा एवं गणगौर माता की व्रत कथा का भी श्रवण किया वही दोपहर बाद जिनके शरीर में माता जी आती है वह भी समूह में ढोल धमाकों के साथ अपने सिर पर कलश रखकर रमते खेलते हुए भक्त बाड़ी में आए एवं दर्शन पूजन के लिए पाटीदार धर्मशाला, खाटू श्याम मंदिर के समीप माता की वाड़ी पहुंचे। पश्चात ज्वारा रूपी माता को अलग अलग श्रंगारित रथों में रखकर मन्नत आस्था के चलते भक्तो द्वारा अपने अपने घर ले जाते है।


