कुक्षी में 3 अप्रैल को होगा 200 से अधिक गणगौर रथों का सामूहिक नृत्य(यहां का प्रसिद्ध गणगौर उत्सव समूचे निमाड अंचल में सराहा जाता है, उमड़ेगा जनसैलाब)

धार।(शिवकुमार उपवाल)…✍️। नगर की पहचान बन चुके शहर कुक्षी का गणगौर पर्व क्षेत्र में व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। गणगौर पर्व की विशेष छटा गणगोरी तीज 31 मार्च से गणगौर पंचमी तक रहेगी। 3 अप्रैल की शाम को शहर के हृदय स्थल कचहरी चौक में होने वाले इस लोक पर्व में 200 से अधिक श्रृंगारित रथों का सामूहिक नृत्य होगा। जिसे देखने शहर के अलावा अंचल से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचेंगे।
निमाड़ अंचल के अंतिम छोर तथा धार जिले की सबसे बड़ी तहसील कुक्षी में क्षत्रिय सीरवी समाज द्वारा इस पर्व को दीपावली की तरह विशेष अंदाज में मनाया जाता है। कुक्षी शहर के साथ परगना के कई गांव में भी इस पर्व की रोनक देखते बनती है। यहां जब एक साथ रथों का गणगौर नृत्य होता है वह पल अदभुद होता है जिसे निमाड़ मालवा क्षेत्र में काफी सराहा जाता है।

31 मार्चसे बिखरेगी पर्व की छटा:

31 मार्च को माता की बाड़ी में ज्वारों का पूजन- अर्चन तथा दर्शन आज सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगेगी। माता के ज्वारों को गणगौर की काष्ठ प्रतिमाओं में रखकर घर लाया जाएगा। गणगोरी तीज की प्रथम रात में सीरवी समाज द्वारा श्री आई माताजी मंदिर में गणगौर रथ रखे जाएंगे और वही रात्रि माताजी का रात्रि विश्राम होगा साथ हि रात्रि के 12 बजे समाज की महिलाएं रथों के सामने माता के झलारिया गाकर रतजगा करेगी। इसके बाद रात्रि में प्रसिद्ध मटकी नृत्य, ताली सु आदि नृत्य से पूरी रात कार्यक्रम आयोजित होंगे। 01 अप्रैल को सिर्वी मोहल्ला बड़ी हताई में माता जी का रात्रि विशाम होगा तथा दिन में डांडिया नृत्य किया जाएगा। 2 अप्रैल की रात्रि मे श्री आई माताजी चौक में गणगौर रथ रखे जाएंगे ओर दिन में छोटी हताई मे डांडिया नृत्य होगा। इस दिन बुधवार होने से माता के बिदाई गुरूवार को होगी।
3 अप्रैल की रात्रि मे माताजी का विश्राम सिर्वी महोल्ला नेनकी हताई मे होगा। इसी दिन दोपहर 05 बजे डांडिया नृत्य होगा।
03 अप्रेल गुरूवार को शहर के हृदय स्थल कचहरी चौक में होने वाले इस लोक पर्व में 200 से अधिक श्रृंगारित रथों का सामूहिक नृत्य होगा। जिसे देखने शहर के अलावा अंचल से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचेंगे व मातारानी के नृत्य को निहारेंगे।

राजस्थानी वेशभूषा में श्रृंगार किया जाता है यहां रथों का

यहां का गणगौर पर्व की प्रसिद्धि को इसी अंदाज से लगाए जा सकता है कि कुक्षी में गणगौर रथों का श्रृंगार भी विशेष होता हे। राजा ईश्वर जी को राजस्थानी अंगरखा, साफा, हाथ में तलवार तथा माता का विशेष साड़ी, बिंदी कान में झुमके, हाथ में चूड़ी, गले में हार का श्रृंगार ऐसा लगता है मानो साक्षात देवता ही नृत्य कर रहे हो।

उत्सव स्थलों को दुल्हन की तरह सजाया गया

शहर के प्रमुख उत्सव स्थल कचहरी चौक, मुख्य सराफा बाजार, श्री आई माता जी का माणक चौक,बड़ी हताई, नेनकी हताई, श्री राम चौक, सेप्टा गली, नयापुरा क्षेत्र, रेटकुआं तथा श्री आई माताजी द्वार आदि उत्सव स्थलों को दुल्हन की तरह जगमग लाइटों से सजाया गया है। पर्व पर पूरे शहर का वातावरण भक्तिमय हो गया है।

400 से अधिक परिवार एक साथ मनाते हैं पर्व

कुक्षी में रहने वाले क्षत्रिय सीरवी समाज का यह पर्व इसलिए भी खास है क्योंकि यहां निवास करने वाले सीरवी समाज के 400 से अधिक परिवार इस प्रमुख पर्व को एक साथ मनाते हैं पर्व के दौरान परिवार के सदस्य कहीं भी हो अपने घर आकर तीन दिनों तक माता की पूजा अर्चना व सेवा भाव में लीन हो जाते हैं। पर्व के दिनों में यह सभी कार्यक्रम क्षत्रिय सीरवी समाज सकल पंच अध्यक्ष कांतिलाल गेहलोत,उपाधक्ष्य कैलाश काग,कोषाधक्ष्य राजेश भायल,कोटवाल रमेश परिहार,कोठारी मोतीलाल काग,वरिष्ठ पंच राजेश राठौर व समाज के वरिष्ठजनों के सानिध्य में सम्पूर्ण आयोजन संपन्न होते हैं।

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